समाज और राष्ट्र को सही दिशा देने की क्षमता भी रखती है नारी

नारी समाज का आधार स्तंभ है। वह शक्ति और मर्यादा का अद्वितीय संगम है। भारतीय संस्कृति में नारी को शक्ति का प्रतीक माना गया है, जो दुर्गा, सरस्वती और लक्ष्मी के रूप में पूजी जाती है। नारी न केवल एक परिवार की धुरी होती है, बल्कि समाज और राष्ट्र को सही दिशा देने की क्षमता भी रखती है।
नारी का सबसे बड़ा गुण उसकी सहनशीलता और धैर्य है। कठिन परिस्थितियों में भी वह धैर्य नहीं खोती और अपने कर्तव्यों का पालन करती है। नारी केवल एक बेटी, बहन, पत्नी या माँ नहीं है, बल्कि वह एक शिक्षिका, डॉक्टर, वैज्ञानिक, उद्यमी, और नेता के रूप में भी अपनी पहचान बनाती है। उसकी शक्ति केवल शारीरिक या मानसिक नहीं, बल्कि आध्यात्मिक भी होती है।
मर्यादा नारी के व्यक्तित्व का अभिन्न अंग है। वह समाज को नैतिकता, अनुशासन और आदर्शों की सीख देती है। परिवार में मर्यादा का संचार नारी के माध्यम से ही होता है। एक सशक्त नारी ही परिवार, समाज और राष्ट्र को सशक्त बनाती है।
आज की नारी ने अपनी शक्ति को पहचाना है और हर क्षेत्र में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है। शिक्षा, विज्ञान, राजनीति, और खेल, हर क्षेत्र में नारी ने अपनी प्रतिभा और समर्पण से यह सिद्ध किया है कि वह किसी से कम नहीं है।
नारी सृजन की प्रतीक है। वह एक जीवन को जन्म देती है और उसे संस्कार और शिक्षा देती है। इसीलिए, समाज को चाहिए कि वह नारी का सम्मान करे, उसकी मर्यादा बनाए रखे और उसे उसके अधिकार प्रदान करे। नारी के बिना समाज अधूरा है। अतः हमें नारी शक्ति को पहचान कर उसे सही दिशा में प्रोत्साहित करना चाहिए।