‘कोई समझे मुझे दुश्मन तो मेरी हार हो जाए’

पं.हर प्रसाद शास्त्री की पुण्यतिथि पर हुआ शानदार कवि सम्मेलन
चार रचनाकार और बारह मेधावी विद्यार्थी सम्मानित किए गए
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गाजियाबाद। दशकों पहले गाजियाबाद में कवि सम्मेलनों की शुरुआत करने वाले पंडित हर प्रसाद शास्त्री की पुण्यतिथि पर कवि सम्मेलन एवं सम्मान समारोह का आयोजन पंडित हर प्रसाद शास्त्री चैरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से कवि नगर रामलीला मैदान के जानकी सभागार में किया गया। इस अवसर पर चार रचनाकारों और 12 मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित भी किया गया।
पत्रकार एवं शायर राज कौशिक के संचालन में हुए इस कार्यक्रम में जितना शानदार पाठ कवियों ने किया, उतने ही जानदार तरीके से श्रोताओं ने सुना और दाद दी। खास बात ये है कि ये सब वो श्रोता थे जो भारत-न्यूजीलैंड क्रिकेट मैच के मोह को छोड़कर गीत कविता गजल सुनने के लिए आए थे। उल्लेखनीय है कि इस महत्वपपूर्ण कार्य के लिए शास्त्री जी के बेटे जितेंद्र कुमार, बेटी मधु शर्मा और दामाद संजय विशेष रूप से अमेरिका से गाजियाबाद पधारे।
जितेंद्र कुमार ने शास्त्री जी के समय के संस्मरण सुनाते हुए उनकी ये पंक्तियाँ भी पढ़ीं-
संकल्पों का संबल लेकर, सौ बसंत तक चलते रहना।
बंधु, निभाना इन मूल्यों को, इनका मत अवमूल्यन सहना।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हैं विश्व प्रसिद्ध शायर विजेंद्र सिंह परवाज को इस ग़ज़ल पर खूब दाद मिली-
ये जिंदगी भी कैसे बहाने में कट गई
जैसा नहीं हूं वैसा दिखाने में कट गई
बर्दाश्त किससे होती हैं खुददारियाँ यहां
गरदन हमारी सर को उठाने में कट गई
राज कौशिक की ये ग़ज़ल बहुत पसंद की गई-
कुछ इक दिन में ही ये दुनिया गुलो गुलजार हो जाए
जो नफरत की जगह दिल में हमारे प्यार हो जाए
मैं इस हद तक मोहब्बत का हूं पैरोकार अब यारो
कोई समझे मुझे दुश्मन तो मेरी हार हो जाए
गुलावठी ओज के रचनाकार डॉ अर्जुन सिसोदिया खूब जमे-
युद्ध नहीं जिनके जीवन में वे भी बड़े अभागे होंगें
या तो प्रण को तोड़ा होगा या फिर रण से भागे होंगें
कवयित्री अंजू जैन का काव्य पाठ भी बहुत पसंद किया गया-
विजय गाथा शहीदों की यह हिंदुस्तान गाता है
उन्हीं की ही बदौलत आज आजादी से नाता है
बड़ी ही शान से लहरा रहा है यह तिरंगा जो
इन्हीं बलिदानियों के शौर्य के किस्से सुनाता है
मेरठ से पधारे गीतकार मनोज कुमार मनोज का ये अंदाज लोगों को बहुत पसंद आया-
बिना बरसे कोई बादल कभी बादल नहीं होता l
न जिसमें प्यार का कोई निशां आंचल नहीं होता l
सजन की आँख में सजकर कभी देखा नहीं जिसने,
वो केवल रंग काला है कभी काजल नहीं होता ll
पिलखुवा से आए कवि डा. सतीश वर्धन के इस तरह के मुक्तक बहुत सराहे गए..
लौंग तुलसी जावित्री होती हैं बेटियां।
और सीता सावित्री होती हैं बेटियां।।
देवियों से बेटियों को कैसे कमतर आंक लूं।।
गंगा गीता गायत्री होती हैं बेटियां।।
अमेरिका से आईं शास्त्री जी की बेटी कवयित्री मधु शर्मा ने पिता को समर्पित रचना और खूब वाह-वाही पाई-
जब कोई सामने तूफ़ान उठा होता है,
थाम के हाथ पिता साथ खड़ा होता है।
मेरी हर जीत के पीछे है, पता भी ‘मधु’ को,
तेरा आशीष तेरा प्यार छुपा होता है।
युवा कवि संकल्प जैन भी खूब जमे…
ज़ख़्म अंतस टटोल देते हैं
भेद पीड़ा का खोल देते हैं
हम जो लफ़्ज़ों में कह नहीं पाते
अश्क़ आँखों से बोल देते हैं
दिल्ली से आईं कवयित्री कल्पना शुक्ला को भी खूब सराहना मिली-
समारोह में कवि विजेंद्र सिंह परवाज़, डॉ अर्जुन सिसोदिया, संकल्प जैन और कल्पना शुक्ला, सुश्री मधु शर्मा (अमेरिका) और श्री सनातन धर्म इन्टर कॉलेज के 6 छात्रों अभिषेक गुप्ता, अंकुश, अमन कश्यप, तन्मय शुक्रालय, प्रियांशु व कुणाल साईं एवं कन्या वैदिक विद्यालय इन्टर कॉलेज की 6 छात्राओं(सुनीता, स्नेहा सिसोदिया, सिया, गरिमा सैनी, मधु बाला व पारुल समानिया को हर प्रसाद शास्त्री चैरिटेबल ट्रस्ट की तरफ से शास्त्री जी के नाम के पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। पूर्व विधायक कृष्णवीर सिरोही, पूर्व दर्जा प्राप्त राज्य मंत्री बालेश्वर शर्मा, भाजपा के वरिष्ठ नेता पृथ्वी सिंह कसाना, पार्षद अजय शर्मा और उत्थान समिति के संयोजक सत्येंद्र सिंह विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष अरुण कुमार ने अतिथियों का स्वागत किया।