एक शहर जो था मेरे ख़्वाबों में, ढूंढ कर थक गया मिला ही नहीं : श्रीविलास सिंह

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गाजियाबाद। हर वर्ष की भाँति इस बार भी ऋतुराज वसंत के स्वागत में अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान ने ‘वसंतोत्सव’ का आयोजन किया। संस्थान के संस्थापक एवं सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ. धनंजय सिंह के गोल्फ लिंक सोसायटी स्थित आवास पर संपन्न हुए इस सृजन-उत्सव में सरस्वती पूजन के साथ-साथ करीब 18 कवियों ने काव्य-पाठ किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे प्रख्यात कवि-कथाकार एवं अनुवादक श्रीविलास सिंह ने कहा कि अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान पिछले एक दशक से गाजिÞयाबाद एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के साहित्यिक परिवेश को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस तरह के साहित्यिक आयोजनों से कला-साहित्य के क्षेत्र में गाजिÞयाबाद की एक विशिष्ट पहचान बन रही है। उस पहचान को बनाने में अमर भारती साहित्य संस्कृति संस्थान एक अहम भूमिका अदा कर रहा है।
अपनी कुछ गजलें पढ़तें हुए उन्होंने अपने भाव कुछ यूँ अभिव्यक्त किए-
जिंदगी से कोई गिला भी नहीं
और जीने में कोई मजा भी नहीं
एक शहर जो था मेरे ख़्वाबों में
ढूंढ कर थक गया मिला ही नहीं
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रख्यात चित्रकार डॉ. लाल रत्नाकर ने बहुत सुंदर हाइकु सुनाए। संस्थान के संस्थापक एवं वरिष्ठ गीतकार डॉ. धनंजय सिंह ने एक गीत प्रस्तुत करते हुए कहा-
एक युग से जिंदगी के घोल को मैं
एक मीठा विष समझकर पी रहा हूँ
आदमी घबरा न जाए मुश्किलों से
इसलिए मुस्कान बनकर जी रहा हूँ
सुप्रसिद्धध नवगीतकार जगदीश पंकज ने मौनी अमावस्या पर महाकुंभ में मची भगदड़ में हताहत हुए लोगों व उनके परिजनों की पीड़ा को स्वर प्रदान करते हुए अपने गीत का एक अंश कुछ यूं पढ़ा-
व्यथित संगम की हिलोरें
दुखित गंगाजल जहां पर
वहां अमृतकाल
हो विकराल
तट पर छा गया है
कार्यक्रम के आरंभ में डॉ. रमेश कुमार भदौरिया ने सरस्वती वंदना की संगीतमय प्रस्तुति दी। काव्य पाठ करने वाले कवियों में जगदीश पंकज, वेद शर्मा वेद, विपिन जैन, विष्णु सक्सेना, दीपक श्रीवास्तव, बृजेश सिंह, सरिता शर्मा, रजनी सिंह, प्रताप सिंह आदि शामिल रहे। गोष्ठी में शिरकत करते हुए चर्चित कथाकार सुभाष अखिल ने एक रोचक संस्मरण साझा किया।
कार्यक्रम का संचालन संस्थान के महासचिव प्रवीण कुमार ने किया। इस अवसर पर घरौंदा बाल आश्रम के संचालक ओंकार सिंह एडवोकेट, समाजसेवी डीडी पचौरी, मधु सिंह आदि सुधी श्रोता मौजूद रहे।
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