हवा में जहर, जोड़ों में जकड़न: दिल्ली की दमघोंटू हवा कैसे बना रही है हमें ‘रूमेटॉइड आर्थराइटिस’ का शिकार!
जब हवा सांसों पर हमला करती है, तो सिर्फ फेफड़े नहीं, जोड़ों तक भी दर्द पहुंचता है
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भूमेश शर्मा द्वारा संकलित एवं संपादित
नई दिल्ली/गाजियाबाद। दिल्ली की हवा अब सिर्फ आंखों में जलन या खांसी का कारण नहीं रही, अब यह हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) को भी अपने खिलाफ खड़ा कर रही है।
ताज़ा विशेषज्ञों की चेतावनी है कि दिल्ली-एनसीआर की जहरीली हवा ‘रूमेटॉइड आर्थराइटिस (RA)’ जैसी लाइलाज बीमारी को बढ़ावा दे रही है।
क्या है रूमेटॉइड आर्थराइटिस (RA) क्या है ? 
RA एक ऑटोइम्यून बीमारी है, यानी शरीर की रक्षा करने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली ही अब अपने ही शरीर पर हमला करने लगती है। इसमें जोड़ों में सूजन, दर्द, अकड़न और विकलांगता तक हो सकती है। एक बार यह बीमारी हो जाए, तो इसका कोई स्थायी इलाज नहीं, बस लक्षणों को नियंत्रित किया जा सकता है।
हवा में ज़हर, जोड़ों में जकड़न
AIIMS दिल्ली की डॉ. उमा कुमार बताती हैं-
“जब प्रदूषण बढ़ता है, तो जो मरीज सामान्य दिनों में ठीक रहते हैं, उनकी हालत भी बिगड़ जाती है। कई ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हें न परिवार में बीमारी का इतिहास है, न कोई जेनेटिक कारण, बस प्रदूषण ही एक सामान्य कारक है।” अब डराने वाली बात यह है कि ये बीमारी अब सिर्फ बुज़ुर्गों की नहीं रही बल्कि 20 से 50 वर्ष की उम्र के युवा भी इसका शिकार बन रहे हैं।
ट्रैफिक, धुआं और खतरे की बेल
डॉ. पुलिन गुप्ता (RML अस्पताल) कहते हैं – 
“जो लोग व्यस्त सड़कों के पास रहते हैं, जहाँ दिन-रात ट्रैफिक से निकलता धुआं और PM2.5 कण हवा में घुलते रहते हैं, उनमें RA का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।” उन्होंने बताया कि एक यूरोपीय मेडिकल जर्नल में प्रकाशित 2025 के अध्ययन ने साफ़ दिखाया है कि PM2.5, नाइट्रोजन ऑक्साइड और ओज़ोन जैसे प्रदूषक सीधे इम्यून सिस्टम को डिस्टर्ब कर रहे हैं, जिससे ऑटोइम्यून बीमारियों में बेतहाशा वृद्धि देखी जा रही है।
जेनेटिक नहीं, अब एनवायरनमेंटल डिज़ीज़
सर गंगाराम हॉस्पिटल के डॉ. नीरज जैन कहते हैं –
“प्रदूषण हमारी कहानी बदल रहा है। पहले हम सोचते थे कि RA आनुवंशिक बीमारी है, लेकिन अब हम देख रहे हैं कि पूरी तरह स्वस्थ, बिना किसी पारिवारिक इतिहास वाले लोग भी इससे पीड़ित हो रहे हैं।”
चीन के एक अध्ययन ने बताया कि लंबे समय तक PM2.5 के संपर्क में रहने वालों में RA का खतरा 12-18% तक बढ़ जाता है, और यूरोप के आंकड़े भी यही रुझान दिखा रहे हैं। दिल्ली, जो पहले ही दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में टॉप 10 में है, अब इस “चुपचाप फैलते खतरे” का नया केंद्र बन गई है।
अब वक्त है जागने का!
रूमेटॉइड आर्थराइटिस जैसी बीमारियाँ सिर्फ दर्द ही नहीं देतीं बल्कि ये ज़िंदगी की रफ्तार छीन लेती हैं।
अगर हमें अपने बच्चों और आने वाली पीढ़ियों को बचाना है, तो हवा को साफ़ करना सिर्फ पर्यावरण का नहीं, स्वास्थ्य सुरक्षा का सवाल बन गया है।
क्या कर सकते हैं हम ?
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घर से बाहर निकलते समय मास्क पहनें, खासकर जब AQI खराब हो।
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अपने आस-पास हरियाली बढ़ाएँ, क्योंकि पेड़ सबसे सस्ते “एयर फ़िल्टर” हैं।
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कार शेयरिंग, पब्लिक ट्रांसपोर्ट, साइकिल का इस्तेमाल बढ़ाएँ।
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अपने वार्ड या सोसायटी में एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग की मांग करें।
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सबसे ज़रूरी- इस विषय पर बात करें, जागरूकता फैलाएँ।
“हवा हमें ज़िंदा रखती है, लेकिन वही हवा अब हमें बीमार कर रही है।
इसे बदलना हमारे ही हाथ में है।”
