3-4 दिन वाली खांसी अब 3-4 हफ्तों तक पीछा नहीं छोड़ रही: हेल्थ इमरजेंसी के बीच ‘जीवन’ बचाने की जंग अब जनता के भरोसे
NEWS1UP
संवाददाता
दिल्ली/नोएडा/गाजियाबाद। दिल्ली-NCR में हवा ज़हर बन चुकी है। दिल्ली सहित नोएडा और गाजियाबाद में AQI लगातार 400 के पार मंडरा रहा है और यह स्तर सिर्फ “खराब” नहीं, बल्कि स्पष्ट हेल्थ इमरजेंसी है। AIIMS के विशेषज्ञों ने साफ चेतावनी दी है,“अब सिर्फ बीमार नहीं, बिल्कुल स्वस्थ लोग भी बीमार पड़ रहे हैं।” हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि 3-4 दिन वाली खांसी अब 3-4 हफ्तों तक पीछा नहीं छोड़ रही, और सांस की नली से लेकर फेफड़ों के निचले हिस्से तक सूजन लगातार बढ़ रही है।
सांस नहीं, जहर खींच रहे एनसीआर वाले
एनसीआर निवासी अब खुले आसमान में चलते नहीं, बल्कि प्रदूषण की परतों को चीरते हुए अपने दिन काट रहे हैं। नींद में सांस फूलने की शिकायतें बढ़ रही हैं, आंखों में जलन और सिरदर्द आम हो गए हैं, छोटे बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता बुरी तरह प्रभावित दिख रही है। और यह सिर्फ इंसानों तक सीमित नहीं, पक्षियों की दुनिया भी दम तोड़ रही है।
दिल्ली की जहरीली हवा से रोज 200-250 घायल पक्षी अस्पताल पहुंच रहे हैं। धुंध में दिशा पहचान नहीं पा रहे, उड़ान में चोट खा रहे हैं और ‘कोराइजा’ जैसी सांस-संबंधी बीमारियां तेजी से फैल रही हैं।

प्रशासन गायब, कार्रवाई कागज़ों में दफन
नेतृत्व और प्रशासनिक मशीनरी की निष्क्रियता अब साफ दिखाई दे रही है। घोषणाएं बड़ी, लेकिन ज़मीन पर नतीजे नगण्य। एक्शन प्लान हर साल बनता है, पर राहत हर साल गायब रहती है। राजनीति, बयानबाज़ी और जिम्मेदारी, तीनों ही अब इस धुंध में खोते जा रहे हैं। सच्चाई यह है कि जनता अपने हाल पर छोड़ दी गई है। प्रदूषण से लड़ाई अब व्यक्तिगत स्तर पर लड़नी पड़ रही है, मास्क, एयर प्यूरीफायर, घरों में कैद दिन और अनिश्चित स्वास्थ्य।
जब दवा कम पड़े, घर की चुस्की बने ढाल
इस जहरीले मौसम में डॉक्टर भी मान रहे हैं कि सिर्फ दवाइयों पर निर्भर रहना काफी नहीं। हल्दी, अदरक और आंवला जैसी प्राकृतिक चीज़ें गर्म चुस्की के रूप में शरीर को अंदर से मजबूत करने का काम कर सकती हैं। हल्दी की एंटी-इंफ्लेमेटरी खूबियां, अदरक की सूजन कम करने की क्षमता और आंवले की इम्यूनिटी बढ़ाने की ताकत, आज की हवा से लड़ने की पहली ढाल बन सकती है। यह कोई इलाज नहीं, लेकिन बचाव की अनिवार्य आदत जरूर है।
अब लड़ाई बाहर नहीं, अपने भीतर से शुरू करनी होगी
दिल्ली का प्रदूषण एक मौसमी संकट नहीं रहा, यह अब जनस्वास्थ्य आपदा है। और जब सरकारी सिस्टम लड़खड़ा जाए, तो नागरिकों के लिए अपने बचाव के कदम और भी ज़रूरी हो जाते हैं:
N95/KN95 मास्क को आदत बनाएं
बाहर का समय कम करें
घरों में वेंटिलेशन नियंत्रित रखें
फेफड़ों को मजबूत करने वाली दिनचर्या अपनाएं
बच्चों और बुजुर्गों पर खास ध्यान दें
हवा पर उनका नियंत्रण, जीवन पर हमारा
धुंध की चादर सिर्फ मौसम नहीं, बल्कि प्रशासनिक असफलता का आईना बन चुकी है। नेताओं से लेकर सिस्टम तक सब चुप हैं, और नागरिकों के लिए यह चुप्पी सबसे बड़ी चेतावनी है। दिल्ली में आज हेल्थ इमरजेंसी है। और इस हालत में आपका हर लिया गया छोटा कदम, आपका मास्क, आपकी गर्म चुस्की, आपकी सावधानी, सीधे आपकी जीवन रक्षा है। क्योंकि आज की हवा में, जीना भी एक संघर्ष है… और यह संघर्ष जनता को अकेले ही लड़ना पड़ रहा है।
