अयोध्या से 14 हजार किलोमीटर दूर गूंजेगा “जय श्री राम”!
अयोध्या की आस्था अब पार कर रही है महासागर
NEWS1UP
अयोध्या में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन जनवरी 2024 में हुआ था। अब उसकी गूंज भारत की सीमाओं से निकलकर 14,000 किलोमीटर दूर कैरेबियाई द्वीप देश त्रिनिदाद एंड टोबैगो तक पहुंच चुकी है। यह वही देश है, जहां लगभग 65 प्रतिशत आबादी ईसाई है, परंतु हिंदू परंपराएं आज भी वहां की मिट्टी में गहराई से समाई हुई हैं। कुल 14 लाख की जनसंख्या वाले इस छोटे से देश में करीब 3.5 लाख हिंदू रहते हैं, और अब यह देश भी “रामायण कंट्री” के नाम से अपनी पहचान मजबूत करना चाहता है।
सरकार के समर्थन से बनेगा भव्य “रामलला मंदिर”
त्रिनिदाद एंड टोबैगो के सार्वजनिक उपयोगिता मंत्री बैरी पदारथ ने हाल ही में घोषणा की कि सरकार ने धार्मिक नेताओं और भारतीय मूल के समुदाय के साथ बैठक कर राम मंदिर निर्माण को हरी झंडी दे दी है। उन्होंने कहा कि “हमारी प्रशासनिक टीम मंदिर परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए सक्रियता से काम कर रही है। यह न सिर्फ धार्मिक स्थल होगा, बल्कि हमारे देश के सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्यटन को भी नई दिशा देगा।”
“अयोध्या नगरी” का प्रस्ताव: प्रवासी भारतीयों की भावनाओं से जुड़ा सपना
ओवरसीज फ्रेंड्स ऑफ राम मंदिर (न्यूयॉर्क) के संस्थापक प्रेम भंडारी ने त्रिनिदाद एंड टोबैगो सरकार को एक प्रस्ताव सौंपा है “अयोध्या नगरी” के रूप में एक ऐसा केंद्र स्थापित किया जाए, जहां भगवान राम, सीता, लक्ष्मण और हनुमान की गाथाएं गूंजें, और जहां दुनिया भर के हिंदू भक्त एक साथ आस्था प्रकट कर सकें। इस परियोजना को प्रधानमंत्री कमला प्रसाद बिसेसर, जो स्वयं भारतीय मूल के हैं, ने सैद्धांतिक समर्थन दिया है।
रामलला की प्रतिकृति से शुरू हुई नई यात्रा
मई 2025 में जब अयोध्या से रामलला की प्रतिकृति मूर्ति त्रिनिदाद एंड टोबैगो लाई गई, तो वहां के पोर्ट ऑफ स्पेन में 10,000 से अधिक भक्तों ने दर्शन किए। उस क्षण ने यह सिद्ध कर दिया कि प्रवासी भारतीयों के लिए भगवान राम केवल एक धार्मिक प्रतीक नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक पहचान और विरासत का जीवंत स्वरूप हैं।
पीढ़ियों से जीवित है हिंदू परंपरा
19वीं सदी में ब्रिटिश काल के दौरान जब भारतीय मजदूरों को गिरमिटिया अनुबंध के तहत त्रिनिदाद भेजा गया था, तब से लेकर आज तक वहां रामायण पाठ, भागवत कथा और दीवाली की परंपराएं सहेजी जाती रही हैं। सरकार का मानना है कि राम मंदिर प्रोजेक्ट से देश में न केवल धार्मिक पर्यटन बढ़ेगा, बल्कि यह प्रवासी भारतीयों के बीच आध्यात्मिक एकता का प्रतीक भी बनेगा।
दिवाली के शुभ अवसर पर लिया गया फैसला
त्रिनिदाद एंड टोबैगो सरकार ने यह महत्वपूर्ण घोषणा दिवाली के अवसर पर की है, जो इस देश में भी राष्ट्रीय अवकाश के रूप में मनाई जाती है। सरकार का कहना है कि मंदिर के वास्तु और डिज़ाइन का खाका आने वाले कुछ महीनों में सार्वजनिक किया जाएगा।
भारत से कैरेबियन तक: “राम” की एक ही पहचान 
अयोध्या में 22 जनवरी 2024 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीराम जन्मभूमि मंदिर का उद्घाटन किया, तब शायद किसी ने नहीं सोचा था कि उसकी प्रेरणा इतनी दूर तक पहुंचेगी। त्रिनिदाद एंड टोबैगो का यह कदम साबित करता है कि राम सिर्फ भारत के नहीं, बल्कि मानवता के प्रतीक हैं, मर्यादा, आदर्श और करुणा के प्रतिनिधि।
“रामायण कंट्री” का एक नया अध्याय
त्रिनिदाद एंड टोबैगो में राम मंदिर का निर्माण, प्रवासी हिंदुओं के लिए एक भावनात्मक पुनर्जागरण है। यह पहल दिखाती है कि समय चाहे कितना भी बदल जाए, “जय श्रीराम” की ध्वनि सीमाओं से परे जाती है, वह हर उस दिल में बसती है, जो धर्म, संस्कृति और भारतीय मूल्यों में विश्वास रखता है।
“अयोध्या से उठी यह आस्था की ज्योति अब कैरेबियन सागर की लहरों पर झिलमिला रही है, और यह बताती है कि राम की मर्यादा और मानवता का संदेश दुनिया के हर कोने में जीवित है।”
