December 20, 2024
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छठ महापर्व :  लेजर लाइट की रंग बिरंगी रोशनी से जगमगाया गाजियाबाद हिंडन घाट 

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डूबते सूर्य का अर्घ्य देकर की भगवान भास्कर और छठ मैया की पूजा

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गाजियाबाद। गाजियाबाद में छठ महापर्व परम्परगत व हर्षोल्लास से साथ मनाया जा रहा है। हिंडन नदी के तट पर नगर निगम में श्रद्धालुओं के लिए 70 से ज्यादा घाट तैयार किया। शाम को नगर निगम ने लेजर शो का बेहद बेहतरीन आयोजन किया, जिससे पूरा हिडेन तक जगमगा उठा और श्रद्धालुओं के चेहरे खुशी से खिल उठे।

महानगर में नगर निगम द्वारा तैयार कराए गए छठ घाटों पर श्रद्धालुओं का उत्साह और श्रद्धाभाव देखने लायक था। डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रतियोंं ने समृद्धि, संतान प्राप्ति और वैभव की कामना करते हुए भगवान भास्कर की उपासना की। इस मौके पर महिलाओं द्वारा गाये जा रहे छठी मैया के गीतों माहौल को पूरी तरह भोजपुरी बना दिया। सूर्यास्त के साथ ही हिंडन घाट पर शुरू हुआ लेजर बीम शो इस कार्यक्रम में चार चांद लगा रहा था। रंग- बिरंगी रोशनी में हिंडन का नजारा अदभुत नजर आया।

मेयर सुनीता दयाल ने की पुष्प वर्षा

नगर निगम मेयर सुनीता गोयल इस मौके पर छठ व्रतियों के बीच पहुंचकर पुष्प वर्षा करतीं नजर आईं। नगर आयुक्त विक्रमादित्य सिंह मलिक नगर निगम के पूरे अमले के साथ हिंडन घाट पर मौजूद थे। मेयर और नगरायुक्त ने इस मौके पर उपस्थित विशाल जन समूह का छह महापर्व की शुभकामनाएं दीं। बता दें कि सूर्य की उपासना करने के लिए श्रद्धालु पूरे परिवार के साथ गाते – बजाते छठ घाट पर पहुंचे थे। छठ घाट पर पूरे विधि विधान और श्रद्धा के साथ व्रतियों ने डूबते सूर्य और छठ मैया की उपासना की। इस मौके पर पुलिस- प्रशासन के अधिकारी भी मुस्तैद दिखे।

कल सुबह उगते सूर्य को देंगे अर्घ्य

सूर्यास्त के समय पूजा अर्चना करने के साथ श्रद्धालुओं ने अपने घरों की ओर रुख करना शुरू कर दिया। बता दें कि छठ मैया का 36 घंटे का निर्जला व्रत शुक्रवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही संपन्न हो जाएगा। ऐसे में व्रती महिलाएं घरों में जाकर आराम करेंगी और सुबह करीब 3 बजे से ही छठ घाट की ओर प्रस्थान करने लगेंगे। उसके बाद पूरी तैयारी के साथ श्रद्धालु छठ घाट पर सूर्यादय का इंतजार करेंगे।

भगवान भास्कर की उपासना का महापर्व

छठ के मौके पर भगवान भास्कर की उपासना का खास महत्व माना जाता है। यह पर्व शुद्धता, स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण का भी संदेश देता है। भगवान भास्कर के साथ छठी मैया की उपासना का विधान है, इसलिए इस पर्व को सूर्यषष्ठी भी कहा जाता है। दिन में छठी व्रतियों ने गेहूं, घी व शक्कर का ठेकुआ, चावल, घी और शक्कर का लड्डू प्रसाद के लिए बनाया। सूप या टोकरी में प्रसाद को रखकर व्रति महिलाओं ने छठ घाट की ओर प्रस्थान किया। प्रसाद की टोकरी में कई तरह के फल जैसे सेब, केला, अमरूद और नींबू भी रखे गए थे।

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