पोलियो पर भारत की ऐतिहासिक जीत: ‘विश्व पोलियो दिवस’ पर रोटरी इंटरनेशनल को सलाम!
“दो बूंद ज़िंदगी की” ने रचा इतिहास
असंभव को संभव बना दिया भारत और रोटरी ने
NEWS1UP
भूमेश शर्मा
नई दिल्ली/गाजियाबाद। कभी पोलियो भारत के लिए अभिशाप बन चुका था, लाखों मासूम बच्चे जीवनभर के लिए अपंग हो जाते थे। लेकिन आज, विश्व पोलियो दिवस पर भारत गर्व से कह सकता है कि उसने असंभव को संभव कर दिखाया है। यह जीत सिर्फ सरकार या किसी संस्था की नहीं, बल्कि मानवता की सामूहिक ताकत की मिसाल है। 1985 में रोटरी इंटरनेशनल के उस साहसिक संकल्प से शुरू हुई यह यात्रा, आज पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बन चुकी है, जहाँ “दो बूंद ज़िंदगी की” ने करोड़ों ज़िंदगियाँ बदल दीं।
भारत की पोलियो पर जीत: संघर्ष से सफलता तक
कभी भारत पोलियो से सबसे अधिक प्रभावित देशों में था। 1995 में शुरू हुआ “पल्स पोलियो अभियान” इस जंग का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। “दो बूंद ज़िंदगी की” का नारा हर गली और गाँव में उम्मीद की तरह गूंज उठा। लाखों स्वास्थ्यकर्मी, शिक्षाकर्मी, रोटेरियन और स्वयंसेवक घर-घर जाकर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाते रहे। साल 2011 में भारत में आखिरी पोलियो केस दर्ज हुआ, और 2014 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को “पोलियो-मुक्त देश” घोषित कर दिया। यह उपलब्धि सिर्फ एक देश की नहीं, बल्कि मानवता की जीत थी। भारत में रोटरी ने सरकार, W.H.O., UNICEF और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के साथ मिलकर टीकाकरण और जन-जागरूकता में निर्णायक भूमिका निभाई।
रोटरी इंटरनेशनल: पोलियो उन्मूलन की वैश्विक ताकत
1985 में रोटरी इंटरनेशनल ने “पल्स पोलियो ” नामक वैश्विक अभियान की शुरुआत की। यह किसी गैर-सरकारी संस्था द्वारा शुरू किया गया पहला ऐसा कार्यक्रम था जिसका लक्ष्य किसी बीमारी को पूरी तरह खत्म करना था।
रोटरी के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मुकेश अर्नेजा बताते हैं-

“साल 1985 में जब रोटरी इंटरनेशनल की बैठक में यह निर्णय लिया गया कि दो दशक के भीतर पोलियो को जड़ से मिटा देंगे, तब लोगों को यह मज़ाक लगा था। उस वक्त दुनिया के 60 प्रतिशत देश पोलियो से प्रभावित थे। फिलीपींस में पहला ट्रायल हुआ और 1993 में भारत में सरकार के सहयोग से ‘पोलियो उन्मूलन’ के तौर पर यह अभियान शुरू हुआ। रोटेरियंस ने बढ़-चढ़कर दान दिया और उससे भी अधिक, एक वॉलंटियर के रूप में तन-मन-धन समर्पित किया। खासकर दूरदराज़ और मुस्लिम बहुल इलाकों में जाकर लोगों को जागरूक करना सबसे बड़ी चुनौती थी।”
रोटरी के पूर्व असिस्टेंट गवर्नर शिव कुमार अग्रवाल बताते हैं-

“मुझे पोलियो उन्मूलन अभियान में कार्य करने का अवसर मिला, यह मेरा सौभाग्य है। रोटरी इंटरनेशनल की यह मुहिम आज दुनिया भर में मानवता की मिसाल बन चुकी है। जब यह अभियान अपने शीर्ष पर था, मैं क्लब अध्यक्ष था और हमने कई टीकाकरण शिविर आयोजित किए।”
रोटरी डिस्ट्रिक्ट 3012 के आगामी गवर्नर अमित गुप्ता का कहना है-

“यह सफलता केवल टीकों की नहीं, बल्कि विश्वास, सतत प्रयास, घर-घर पहुँच और जनभागीदारी की है, जिसमें रोटरी लगातार अग्रणी रही है। यह लड़ाई अभी समाप्त नहीं हुई है, जब तक वायरस दुनिया के किसी एक कोने में भी मौजूद है, हर बच्चे तक खतरा बना रहेगा। इसलिए रोटरी आज भी निगरानी, जागरूकता और टीकाकरण समर्थन में सक्रिय है, ताकि यह रोग सिर्फ इतिहास की पुस्तकों तक सीमित रह जाए।”
रोटरी इंटरनेशनल अब तक पोलियो उन्मूलन के लिए 2.5 अरब डॉलर से अधिक का योगदान कर चुकी है। इसके लाखों सदस्य इस अभियान की आत्मा बनकर काम कर रहे हैं।
जब सितारों ने थामी मुहिम की कमान

पोलियो उन्मूलन अभियान को जन-जन तक पहुँचाने में बॉलीवुड और खेल जगत की बड़ी हस्तियों ने अहम भूमिका निभाई। अमिताभ बच्चन की बुलंद आवाज़, “दो बूंद ज़िंदगी की” आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजती है। ऐश्वर्या राय बच्चन लंबे समय तक इस अभियान की ब्रांड एंबेसडर रहीं और उन्होंने माताओं को बच्चों के टीकाकरण के लिए जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अलावा शाहरुख़ ख़ान, करीना कपूर, और सचिन तेंदुलकर जैसे प्रसिद्ध चेहरों ने भी इस मुहिम में भाग लेकर इसे नई पहचान दी।
दुनिया में पोलियो की मौजूदा स्थिति
आज भारत समेत दक्षिण-पूर्व एशिया और अफ्रीका के अधिकांश देश पोलियो-मुक्त हैं। हालांकि अभी भी अफगानिस्तान और पाकिस्तान में वाइल्ड पोलियो वायरस के कुछ मामले दर्ज होते हैं। रोटरी इंटरनेशनल, WHO, यूनिसेफ और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन मिलकर इन क्षेत्रों में निगरानी और टीकाकरण जारी रखे हुए हैं ताकि यह बीमारी फिर कभी वापस न लौटे।
मानवता की मिसाल और भविष्य की जिम्मेदारी
विश्व पोलियो दिवस हमें यह याद दिलाता है कि जब संकल्प मजबूत हो और सहयोग सच्चा हो, तो कोई भी चुनौती असंभव नहीं रहती। भारत की पोलियो-मुक्त यात्रा सिर्फ एक स्वास्थ्य उपलब्धि नहीं, बल्कि मानवता, सेवा और सामूहिक इच्छा-शक्ति की मिसाल है। रोटेरियंस एक स्वर में कहते हैं-
“जब तक दुनिया का आख़िरी बच्चा भी पोलियो से सुरक्षित नहीं हो जाता, हमारी लड़ाई जारी रहेगी।”
