AOA की मनमानी पर बड़ी कार्यवाही: डिप्टी रजिस्ट्रार ने एस.जी. ग्रैंड सोसायटी में 278 रूपये की वसूली को ठहराया ‘गैरकानूनी’!
यू.पी. अपार्टमेंट एक्ट 2010 और मॉडल बायलॉज 2011 की धारा 37
के स्पष्ट उल्लंघन
आदेश ने खोली जवाबदेही की नई राह
NEWS1UP
विशेष संवाददाता
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन स्थित एस.जी. ग्रैंड सोसायटी में निवासियों की लम्बे समय से से चली आ रही शिकायतों के बीच आज डिप्टी रजिस्ट्रार, वैभव कुमार ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। यह फैसला अपार्टमेंट ओनर्स एसोसिएशन (AOA) की कथित वित्तीय अनियमितताओं, मनमानी और निरंकुश कार्यशैली पर सख्त टिप्पणी करते हुए निवासियों के पक्ष में सुनाया गया।
मामला जून 2025 में जारी किए गए मेंटेनेंस बिल से जुड़ा था, जिसमें AOA ने प्राकृतिक आपदा से हुई क्षति के नाम पर 278 रूपये प्रति यूनिट का अतिरिक्त शुल्क वसूल लिया था। इस वसूली को निवासियों ने “गैरकानूनी और पारदर्शिता के विपरीत” बताते हुए शिकायत दर्ज कराई थी।
इस प्रकरण की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि शिकायत किसी बाहरी निवासी ने नहीं, बल्कि AOA की कार्यकारिणी के ही सदस्य भूपेंद्र नाथ ने की।
भूपेंद्र नाथ ने अपनी शिकायत में स्पष्ट रूप से कहा कि-

“AOA के शेष 9 पदाधिकारी और सदस्य पूरी तरह निरंकुश तरीके से कार्य कर रहे थे। बोर्ड का सदस्य होने के बावजूद, न मेरी राय ली जाती थी और न ही किसी मीटिंग की सूचना दी जाती थी।”
उनके अनुसार, निर्णय बंद कमरे में लिए जाते थे और न तो जनरल बॉडी मीटिंग (GBM) होती थी, न AGM। यही नहीं, कई वित्तीय फैसलों में पारदर्शिता का पूर्ण अभाव था।
भूपेंद्र नाथ की यह पहल, एक “इनसाइड व्हिसलब्लोअर” की तरह उभरी, जिसने सोसायटी के भीतर जवाबदेही की नई मिसाल कायम की।
मामला क्या था:
शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि एसोसिएशन ने बिना किसी जनरल बॉडी मीटिंग (GBM) या बोर्ड स्वीकृति के इस शुल्क को थोप दिया। इतना ही नहीं, वार्षिक जनरल मीटिंग (AGM) भी आयोजित नहीं की गई और पिछले वर्ष के आर्थिक लेखे-जोखे की कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गई।
जांच में सामने आया कि एसोसिएशन की 29 मई 2025 की बैठक में कोरम अधूरा था और जिन निर्णयों को पास किया गया, वे यू.पी. अपार्टमेंट एक्ट 2010 और आदर्श उपविधि 2011 की धारा 37 के स्पष्ट उल्लंघन में थे।
जांच में क्या पाया गया:
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“प्राकृतिक आपदा से हुई क्षति” के नाम पर 2,69,660 रूपये का अनुमानित खर्च बताया गया, लेकिन न तो कोटेशन लिए गए, न मरम्मत का प्रमाणित ऑडिट कराया गया।
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न तो बीमा क्लेम लिया गया, और न ही कार्यों की पारदर्शी स्वीकृति ली गई।
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23 मई 2025 का जारी नोटिस केवल “क्षति” का उल्लेख करता था, उसमें किसी प्रकार की
वसूली का एजेण्डा शामिल नहीं था।
आदेश में क्या कहा गया:
डिप्टी रजिस्ट्रार वैभव कुमार ने अपने पत्रांक 23711 1-एम/जीएचए/0055819/गाबाद दिनांक 07 नवम्बर 2025 के आदेश में कहा कि-
“AOA द्वारा बिना विधिवत बैठक एवं कोरम के लिए गए निर्णय वैधानिक नहीं माने जा सकते। जून 2025 के मेंटेनेंस बिल में जोड़ा गया 278 रूपये का शुल्क अवैध वसूली की श्रेणी में आता है।”
आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि 29 मई 2025 की बोर्ड मीटिंग में पारित सभी प्रस्ताव विधिशून्य हैं, तथा भविष्य में किसी भी प्रकार की वित्तीय वसूली से पूर्व जनरल बॉडी की स्वीकृति और उचित प्रक्रिया का पालन आवश्यक होगा।
निवासियों ने कहा– यह फैसला राहत और चेतावनी दोनों है
सोसायटी के निवासियों ने इस फैसले को “AOA की तानाशाही पर करारा प्रहार” बताया।
रेजिडेंट नितिन शर्मा ने कहा-

“हमने सिर्फ पारदर्शिता और नियमों की मांग की थी। 278 रूपये की बात मामूली लग सकती है, लेकिन यह सवाल था विश्वास और जवाबदेही का।”
उन्होंने यह भी कहा-
यह आदेश सिर्फ हमारी सोसायटी नहीं, बल्कि पूरे राजनगर एक्सटेंशन और गाजियाबाद की उन सभी सोसायटियों के लिए उदाहरण है जहाँ AOA मनमाने ढंग से शुल्क वसूलती हैं। नितिन आगे कहते हैं कि एओए की हिमाकत देखिए कि जो भी रेसिडेंट उनसे हिसाब मांगता है या सवाल करता है, उसके विरूद्ध तरह-तरह के प्रपंच रचते है और उन्हें प्रताड़ित करते हैं।
फैसला एक मिसाल
यह आदेश न केवल एस.जी. ग्रैंड के निवासियों को राहत देता है, बल्कि पूरे गाजियाबाद क्षेत्र की AOA व्यवस्थाओं के लिए एक नज़ीर बन गया है। अब कोई भी एसोसिएशन बिना AGM, कोरम और स्वीकृति प्रक्रिया के निवासियों पर आर्थिक भार नहीं डाल सकेगी।
एस.जी. ग्रैंड सोसायटी की यह कार्यवाही उन सभी रेज़िडेंशियल सोसायटियों के लिए सबक है जहाँ निवासी आज भी पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग में संघर्ष कर रहे हैं।
यह फैसला एक चेतावनी है कि AOA, निवासियों पर शासन नहीं, सेवा करने के लिए बनी है।
