October 5, 2025
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त्याग और समर्पण का प्रतीक है संघ: प्रणीत भाटी

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प्रणीत भाटी

संगठन और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए व्यक्तिगत स्वार्थ या लाभ का त्याग किया

संघ और भाजपा की विचारधारा को जन-जन तक पहुँचाने में समर्पित 33 वर्षों का सफ़र

NEWS1UP 

BHUMESH SHARMA 

गौतमबुद्ध नगर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर विजयदशमी पर 101वें वर्ष में प्रवेश कर चुका है। साल 1925 में डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने इसकी स्थापना की थी। अपने सौ वर्षों के सफर में संघ ने कई महत्वपूर्ण पड़ाव देखे जिनमें स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेना विभिन्न सामाजिक संगठनों की स्थापना और आपातकाल के दौरान भूमिका शामिल है। संघ के एक सौ एकवें वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर हम उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण जिले के संघ एवं भाजपा कार्यकर्त्ता प्रणीत भाटी की बात कर रहे हैं। आरआरएस का भारतीय राजनीति और समाज पर गहरा प्रभाव रहा है। जिसका मूल मंत्र है, “संघर्ष, समर्पण और सेवा”। इसी पथ पर चलकर प्रणीत भाटी ने अपना सम्पूर्ण जीवन समाज, संगठन और राष्ट्र को समर्पित कर दिया है। वह गौतमबुद्ध नगर भाजपा के प्रथम जिलाध्यक्ष रह चुके हैं ।

स्व. तेजपाल भाटी

प्रारंभिक जीवन और संस्कार

स्व. प्रवीन भाटी

प्रणीत भाटी का जन्म एक ऐसे परिवार में हुआ जहाँ राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी के संस्कार पीढ़ी-दर-पीढ़ी प्रवाहित होते रहे हैं। उनके पिता श्री तेजपाल भाटी स्वयं संघ और भाजपा के विभिन्न उत्तरदायित्वों का निर्वहन कर चुके हैं, वहीं बड़े भाई स्वर्गीय श्री प्रवीन भाटी ने भी संगठन को महत्वपूर्ण नेतृत्व दिया, प्रवीण भाजपा के जिलाध्यक्ष रहे और दादरी-नोएडा विधानसभा से पार्टी की टिकट पर चुनाव भी लडे थे। ऐसे परिवार में जन्म लेने से ही प्रणीत के जीवन में राष्ट्रसेवा और संगठन कार्य की गहरी जड़ें पड़ गईं। तभी तो कई बार नगर पालिका परिषद् के अध्यक्ष पद से लेकर विधायक का टिकट न मिलने पर भी उन्होंने संघ और भाजपा से कभी मुंह नहीं फेरा।

संघ और सामाजिक जीवन

32 वर्षों से अधिक समय से वे सक्रिय सार्वजनिक जीवन में कार्यरत हैं। प्रारंभिक दिनों से ही वे न केवल संघ के नियमित स्वयंसेवक रहे, बल्कि नगरीय और ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक चेतना फैलाने का कार्य करते रहे। “बच्चा-बच्चा राम का जन्मभूमि के काम का” जब यह नारा देश के गलियारों में गूँज रहा था तब प्रणीत दादरी की गली-गली में हाथ में भगवा लिए और नंगे पांव दौड़ रहे थे और “सौगंध राम की खाते हैं मंदिर वहीँ बनाएंगे” के नारे को बुलंद कर रहे थे। 1992 से संघ की शाखाओं और प्रांत स्तर की गतिविधियों से जुड़े प्रणीत ने शिक्षा, संस्कार और सामाजिक उत्थान से जुड़े अनेक अभियानों का संचालन किया। रक्तदान शिविर, आपदा सहायता, भूदान क्षेत्र विकास, मंदिर निर्माण आंदोलन, राष्ट्र रक्षा जैसे अभियान में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। इनके अतिरिक्त उन्होंने तरुण चेतना उत्थान समिति, भारत निर्माण ट्रस्ट, मेरठ में लगे समरसता महाशिविर और बृज प्रान्त में आयोजित हुए राष्ट्रिय रक्षा महाशिविर में पूरी निष्ठा के साथ अपना योगदान दिया।

प्रणीत भाटी : प्रमुख पड़ाव

  • 1992 : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े

  • सामाजिक अभियानों में सक्रिय – रक्तदान, आपदा राहत, मंदिर आंदोलन

  • भाजपा नगर अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष और क्षेत्रीय समिति सदस्य

  • किसान मोर्चा, उत्तर प्रदेश में दायित्व

  • 2024 विधानसभा चुनाव में संगठनात्मक जिम्मेदारी

  • 32 वर्षों से अधिक का त्याग और समर्पण भरा सार्वजनिक जीवन

राजनीतिक जीवन और जिम्मेदारियाँ

भारतीय जनता पार्टी के प्रति उनकी निष्ठा और निरंतर परिश्रम ने उन्हें विभिन्न दायित्वों तक पहुँचाया। नगर अध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, क्षेत्रीय समिति सदस्य और संगठनात्मक पदों पर कार्य। भाजपा मुरादाबाद, गाजियाबाद, झाँसी और उत्तर प्रदेश किसान मोर्चा में सक्रिय योगदान। 2024 के विधानसभा चुनाव में गहन संगठनात्मक जिम्मेदारी निभाकर संगठन को सुदृढ़ बनाने तथा मजबूती प्रदान करने में अपना अमूल्य योगदान दिया।

 त्याग और समर्पण

प्रणीत भाटी और उनके परिवार ने संगठन को हमेशा सर्वोपरि रखा। निजी जीवन में आने वाली कठिनाइयों और सुविधाओं की कमी के बावजूद कभी भी संगठन की अपेक्षाओं से पीछे नहीं हटे। परिवार ने हमेशा विचारधारा को जीवन से बड़ा मानकर कार्य किया। संगठन और राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखते हुए व्यक्तिगत स्वार्थ या लाभ का त्याग किया।

प्रणीत भाटी कहते हैं कि देश को विश्वगुरु बनाने के लिए आज की युवा पीढ़ी को राष्ट्रवादी विचारधारा, संगठन निष्ठा और समाज सेवा का उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करना ही होगा। उनका कहना है कि यदि व्यक्ति स्वयं को संगठन और राष्ट्र के प्रति समर्पित कर दे तो जीवन का हर क्षण एक सेवा-यज्ञ बन जाता है।

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