भाई भले शहीद हो गया… पर बहन अकेली नहीं थी, फौजियों ने मंडप से ससुराल तक निभाया भाई का फ़र्ज़
शहीद आशीष कुमार
NEWS1UP
नाहन (सिरमौर)। देश के वीर सपूत केवल अपनी जान देकर मातृभूमि की रक्षा ही नहीं करते, बल्कि उनके जाने के बाद उनके साथी भी परिवार को कभी अकेला नहीं छोड़ते। इसका जीता-जागता उदाहरण हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के भरली गांव में उस समय देखने को मिला जब शहीद आशीष कुमार की बहन आराधना (पूजा) की शादी में उनके साथी जवान और पूर्व सैनिक भाई का फर्ज निभाने पहुंचे।
शादी बनी भावुक पल की गवाह
बीते गुरुवार को जब दुल्हन आराधना का विवाह समारोह चल रहा था, तो परिवार को भाई की कमी सबसे ज्यादा महसूस हो रही थी। लेकिन यह कमी पूरी की शहीद आशीष की रेजिमेंट 19 ग्रेनेडियर के जवानों और पांवटा-शिलाई के भूतपूर्व सैनिक संगठन के सदस्यों ने। सभी सैनिक न केवल शादी में शरीक हुए, बल्कि दुल्हन को मंडप तक लेकर आए और रस्में निभाईं।
फौजियों ने दिया खास तोहफ़ा
इस दौरान सैनिकों ने बहन को शगुन के तौर पर बैंक में जमा (एफडी) भेंट की। यह उपहार न सिर्फ आर्थिक सुरक्षा का प्रतीक था बल्कि एक गहरा संदेश भी था कि फौजी परिवार कभी अकेला नहीं होता। शादी की रस्में पूरी होने के बाद फौजियों ने दुल्हन को ससुराल तक भी छोड़कर भाई की जिम्मेदारी पूरी तरह निभाई। यह नजारा देखकर उपस्थित लोगों की आँखें भर आईं।
कौन-कौन हुआ शामिल
समारोह में शहीद आशीष की रेजिमेंट से हवलदार राकेश कुमार, नायक रामपाल सिंह, नायक मनीष कुमार, ग्रेनेडियर अभिषेक और आयुष कुमार पहुंचे। क्षेत्र से सेना में मेजर अनूप तोमर और पैराट्रूपर नदिश कुमार ने भी शिरकत की।
भूतपूर्व सैनिक संगठन से अध्यक्ष सूबेदार मेजर करनैल सिंह, उपाध्यक्ष हरिंदर सिंह, सचिव ओमप्रकाश चौहान, पूर्व अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह, सलाहकार हाकम सिंह, सुरेश कुमार देवा और अन्य वरिष्ठ पूर्व सैनिकों , नेत्र सिंह, मामराज सिंह, पृथ्वी सिंह, दिनेश कुमार, नरेंद्र ठुंडू, देवेंद्र नेगी, सोहन सिंह ने भी उपस्थिति दर्ज कराई और समाज के सामने एक मिसाल पेश की।
शहादत की कहानी
गौरतलब है कि शहीद आशीष कुमार 19 ग्रेनेडियर में तैनात थे। 27 अगस्त 2024 को अरुणाचल प्रदेश में “ऑपरेशन अलर्ट” के दौरान उन्होंने अदम्य साहस और वीरता का परिचय देते हुए देश के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया था। उनकी शहादत ने न केवल परिवार, बल्कि पूरे क्षेत्र और देश को गौरवान्वित किया।
समाज के लिए संदेश
इस शादी ने साबित किया कि जब कोई जवान देश के लिए बलिदान देता है, तो उसका परिवार कभी अकेला नहीं होता। फौजी भाईचारा केवल ड्यूटी तक सीमित नहीं रहता, बल्कि परिवार की हर जिम्मेदारी में भी निभाया जाता है। यह भावुक दृश्य हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो बलिदान और रिश्तों की असली कीमत को समझता है।