बनारस घराने के दिग्गज शास्त्रीय गायक पंडित छन्नूलाल मिश्र का निधन, 91 वर्ष की आयु में ली अंतिम सांस

रह चुके हैं प्रधानमंत्री मोदी के प्रस्तावक
NEWS1UP
वाराणसी। भारतीय शास्त्रीय संगीत जगत ने आज एक अनमोल सितारा खो दिया। बनारस घराने के सुप्रसिद्ध शास्त्रीय गायक और पद्म विभूषण सम्मान से सम्मानित पंडित छन्नूलाल मिश्र का गुरुवार तड़के निधन हो गया। वे 91 वर्ष के थे।
परिवार से मिली जानकारी के अनुसार, गुरुवार सुबह करीब 4:15 बजे उन्होंने मीर्जापुर स्थित अपने घर पर अंतिम सांस ली। उनकी बेटी नम्रता मिश्र ने बताया कि पिछले कुछ सप्ताह से उनकी तबीयत ठीक नहीं चल रही थी।
तीन सप्ताह पहले आया था माइनर हार्ट अटैक
करीब तीन सप्ताह पहले शनिवार के दिन पंडित छन्नूलाल मिश्र को माइनर कार्डियक अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) के आपातकालीन विभाग में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने जांच के दौरान उनके सीने में इंफेक्शन और खून की कमी भी पाई थी।
लगभग तीन सप्ताह तक इलाज के बाद उन्हें बीते शुक्रवार अस्पताल से छुट्टी दी गई। इसके बाद बेटी नम्रता उन्हें मीर्जापुर ले गईं और रामकृष्ण सेवा मिशन चिकित्सालय में भर्ती कराया था। हालांकि लगातार उपचार के बावजूद गुरुवार सुबह उनकी हालत बिगड़ गई और उनका निधन हो गया।
उनका अंतिम संस्कार वाराणसी में किया जाएगा।
संगीत साधना और योगदान
आजमगढ़ में जन्मे पंडित छन्नूलाल मिश्र ने बनारस को अपनी कर्मभूमि बनाया। वे बनारस घराने के कला-संगीत क्षेत्र के प्रमुख प्रतिनिधि थे। अपनी सुरीली आवाज और अद्वितीय शैली के माध्यम से उन्होंने शास्त्रीय संगीत को आम जन तक पहुँचाने का काम किया।
उनकी ठुमरी, दादरा, चैती और भजन गायन की शैली ने उन्हें न केवल देश में बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी प्रसिद्धि दिलाई।
सम्मान और उपलब्धियाँ
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2010 में केंद्र सरकार ने उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया।
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उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें यश भारती सम्मान प्रदान किया।
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संगीत साधना में उनके योगदान के लिए उन्हें पद्म विभूषण से भी नवाजा गया।
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2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी से चुनाव लड़ने का फैसला किया, तब पंडित मिश्र उनके प्रस्तावक बने थे।
संगीत जगत में शोक की लहर
पंडित मिश्र के निधन से संगीत जगत और उनके चाहने वालों में गहरा शोक है। संगीतज्ञों, शिष्यों और श्रोताओं का मानना है कि यह भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए अपूरणीय क्षति है।
संगीत प्रेमी उन्हें एक ऐसे गायक के रूप में याद करेंगे जिन्होंने अपनी गायकी से भारतीय संस्कृति की आत्मा को स्वर दिया और शास्त्रीय संगीत को जन-जन तक पहुँचाया।