जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में भीषण आग, 8 मरीजों की मौत – सीएम ने दिए जांच के आदेश

- आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी मानी जा रही है, जिसकी पुष्टि जांच के बाद ही होगी और जांच आदेशित कर दी गई है
- आग लगने के दौरान आईसीयू में भर्ती मरीजों और उनके रिश्तेदारों में अफरा-तफरी मच गई और उन्हें बाहर निकाला गया
- मरीजों के परिजनों ने अस्पताल के कर्मचारियों की लापरवाही और फायर सेफ्टी उपकरणों की कमी की शिकायत की है
NEWS1UP
जयपुर, 6 अक्टूबर। राजस्थान की राजधानी जयपुर के सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल में देर रात दर्दनाक हादसा हो गया। अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर की दूसरी मंजिल स्थित न्यूरो आईसीयू वार्ड के स्टोर रूम में आग लगने से 6 मरीजों की मौत हो गई, जबकि 5 की हालत गंभीर बताई जा रही है। हादसे के वक्त ट्रॉमा सेंटर और अस्पताल के आईसीयू में कुल 24 मरीज भर्ती थे।
शॉर्ट सर्किट से लगी आग, पूरे वार्ड में भर गया ज़हरीला धुआं
रात करीब 11 बजकर 20 मिनट पर न्यूरो आईसीयू के स्टोर में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी। स्टोर में रखे कागज़ात, ब्लड सैंपलर ट्यूब और अन्य चिकित्सा उपकरणों ने आग पकड़ ली। कुछ ही मिनटों में धुआं पूरे आईसीयू में फैल गया, जिससे मरीजों को सांस लेने में कठिनाई होने लगी। जब तक फायर ब्रिगेड मौके पर पहुंची, पूरा वार्ड जलकर खाक हो चुका था।
मरीजों को परिजनों ने खुद निकाला बाहर
प्रत्यक्षदर्शियों और परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि जैसे ही धुआं फैला, वहां मौजूद वार्ड बॉय और स्टाफ मौके से गायब हो गए। काफी देर तक कोई मदद नहीं मिली, जिसके बाद परिजनों ने खुद अपने मरीजों को बाहर निकालने की कोशिश की। इसी अफरा-तफरी में 11 मरीजों की हालत बिगड़ गई, जिनमें से 6 ने मौके पर ही दम तोड़ दिया।
आईसीयू में दहशत का मंजर: रिश्तेदारों ने सुनाई भयावह रात की दास्तान
शहर के एक निजी अस्पताल के आईसीयू में लगी आग ने ऐसा कहर बरपाया कि वहां मौजूद हर व्यक्ति की रूह कांप उठी। हादसे के बाद मरीजों के परिजनों ने उस दर्दनाक पल की भयावह यादें साझा कीं।
पुरण सिंह, जिनका मरीज आईसीयू में भर्ती था, ने बताया:
“जब चिंगारी लगी, पास ही एक सिलेंडर रखा था। पलक झपकते ही धुआं पूरे आईसीयू में फैल गया। अफरा-तफरी मच गई, लोग अपने मरीजों को बचाने की कोशिश करने लगे। कुछ सफल हुए, लेकिन मेरा मरीज कमरे में ही रह गया। जैसे ही गैस और फैली, गेट बंद कर दिए गए।”
नरेंद्र सिंह, जिनकी मां वहां भर्ती थीं, ने बताया:
“आग लगने की जानकारी मुझे देर से मिली। मैं उस समय नीचे डिनर के लिए गया था। जब लौटा तो देखा कि आग फैल चुकी थी। वहां न आग बुझाने का कोई उपकरण था, न कोई सुरक्षा इंतज़ाम। मेरी मां अंदर थीं, और मैं कुछ नहीं कर सका।”
वहीं ओम प्रकाश कहते हैं:
“करीब 11:20 बजे धुआं फैलने लगा था। मैंने डॉक्टरों को चेताया कि इससे मरीजों को परेशानी होगी, पर किसी ने ध्यान नहीं दिया। जब तक स्थिति गंभीर हुई, डॉक्टर और कंपाउंडर खुद भाग चुके थे। मुश्किल से चार-पांच मरीजों को ही बाहर निकाला जा सका। मेरी मौसी का बेटा भी इस हादसे में नहीं बच सका। वह ठीक हो रहा था और दो-तीन दिन में डिस्चार्ज होने वाला था।”
इस भयावह हादसे ने अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिजन अब सिर्फ एक सवाल पूछ रहे हैं —
“अगर समय रहते कदम उठाए जाते, तो क्या हमारे अपने आज ज़िंदा होते?”
मुख्यमंत्री ने किया दौरा, 5-5 लाख की सहायता राशि का ऐलान
घटना की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और चिकित्सा मंत्री जवाहर सिंह बेधम रात में ही एसएमएस अस्पताल पहुंचे। उन्होंने मौके पर हालात का जायजा लिया और अस्पताल प्रशासन को सख्त जांच के निर्देश दिए।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की कि मृतकों के परिजनों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी और घायलों का इलाज मुफ्त में किया जाएगा। उन्होंने कहा कि, “ऐसी घटनाएं अस्वीकार्य हैं। दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।”
राजस्थान का सबसे बड़ा अस्पताल
सवाई मान सिंह (एसएमएस) अस्पताल राजस्थान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, जहां पूरे राज्य से मरीज इलाज के लिए आते हैं। इस घटना ने न केवल सुरक्षा व्यवस्थाओं पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि अस्पताल की आपातकालीन तैयारी को लेकर भी चिंता बढ़ा दी है।
फिलहाल फायर ब्रिगेड और फॉरेंसिक टीम ने जांच शुरू कर दी है, और आग लगने के सटीक कारणों का पता लगाया जा रहा है।