आरएसएस का शताब्दी वर्ष: स्मारक टिकट और सिक्के के साथ शुरू होंगे राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम

संघ की शताब्दी पर देशभर में होंगे एक लाख से अधिक हिंदू सम्मेलन
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नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) इस वर्ष अपनी स्थापना के 100 वर्ष पूरे कर रहा है। 1925 में विजयादशमी के दिन डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने जिस संगठन की नींव रखी थी, वह आज सेवा, अनुशासन और राष्ट्र समर्पण की मिसाल बन चुका है। शताब्दी वर्ष के मौके पर पूरे देश में भव्य आयोजन किए जा रहे हैं।
प्रधानमंत्री जारी करेंगे स्मारक टिकट और सिक्का
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बुधवार को आरएसएस के शताब्दी वर्ष की पूर्व संध्या पर एक विशेष स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करेंगे। इस अवसर पर संगठन के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले मौजूद रहेंगे।
अपने हालिया मन की बात में प्रधानमंत्री ने संघ की सराहना करते हुए कहा कि संघ के स्वयंसेवकों के हर कार्य में “राष्ट्र प्रथम” सर्वोच्च होता है। उन्होंने एम.एस. गोलवलकर के कथन “यह मेरा नहीं, राष्ट्र का है” को उद्धृत करते हुए कहा कि यह विचार त्याग और सेवा की प्रेरणा देता है।
एक लाख से अधिक हिंदू सम्मेलन
शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में पूरे देश में एक लाख से अधिक ‘हिंदू सम्मेलनों’ का आयोजन होगा। साथ ही, सामाजिक समरसता और राष्ट्र निर्माण जैसे विषयों पर हजारों संगोष्ठियां भी आयोजित की जाएंगी।
नागपुर से हुई शुरुआत
नागपुर में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने रविवार को ‘संघ गीत’ एल्बम का विमोचन किया। इस संग्रह में प्रसिद्ध गायक शंकर महादेवन द्वारा गाए गए 25 गीत शामिल हैं। उन्होंने कार्यक्रम के दौरान इनमें से 10 गीत प्रस्तुत किए।
भागवत ने कहा, “संघ गीत मातृभूमि के प्रति समर्पण और जीवन की तपस्या से उत्पन्न होते हैं। ये गीत स्वयंसेवकों के अनुभवों और त्याग का प्रतीक हैं।”
गीतों की परंपरा
संघ के पास हर भारतीय भाषा में गीत उपलब्ध हैं। उनकी अनुमानित संख्या 25,000 से 30,000 तक बताई जाती है। ये गीत केवल संगीत नहीं, बल्कि राष्ट्रभक्ति और समर्पण की प्रेरणा भी हैं।
विजयादशमी संबोधन और जनसंपर्क अभियान 
संघ प्रमुख मोहन भागवत गुरुवार को नागपुर स्थित मुख्यालय में वार्षिक विजयादशमी संबोधन देंगे। इसी के साथ शताब्दी वर्ष के तहत राष्ट्रव्यापी कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू हो जाएगी। घर-घर जनसंपर्क अभियान, सामाजिक समरसता पर संगोष्ठियां और सांस्कृतिक कार्यक्रम पूरे वर्ष चलते रहेंगे।