गोहत्या कानून का दुरुपयोग : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी को दी राहत, कहा निष्पक्ष जांच नहीं हुई

जांच अधिकारी ने घटनास्थल से केवल गाय का गोबर बरामद किया
इलाहाबाद हाईकोर्ट (High Court) ने हाल ही में एक व्यक्ति को उत्तर प्रदेश गोवध अधिनियम के तहत दर्ज अपराध में अग्रिम जमानत दे दी। कोर्ट ने पाया कि अभियुक्त के खिलाफ मामला दंड कानून के दुरुपयोग का एक स्पष्ट उदाहरण था और यह कि राज्य ने मामले की निष्पक्ष जांच नहीं की।
आरोपी का नाम निजामुद्दीन है। जस्टिस मो फैज आलम खान ने कहा कि किसी भी आरोपी व्यक्ति के कब्जे से या मौके से न तो प्रतिबंधित पशु और न ही उसका मांस बरामद किया गया था और जांच अधिकारी ने केवल एक रस्सी और कुछ मात्रा में गाय का गोबर एकत्र किया था।
कोर्ट ने कहा, कुछ चश्मदीदों के बयान हैं, जिन्होंने दावा किया है कि उन्होंने आरोपी व्यक्तियों को बछड़े के साथ जमील के गन्ने के खेत की ओर जाते देखा। गायों और बछड़ों को पालतू जानवरों के रूप में रखना गांवों में जाति, पंथ और धर्म के बावजूद एक आम बात है।
राज्य का कर्तव्य निष्पक्ष जांच सुनिश्चित करना है, जो इस न्यायालय की राय में वर्तमान मामले में नहीं किया गया है।इसके साथ ही कोर्ट ने आरोपी को जमानत दे दी और साथ ही पुलिस महानिदेशक को जांच अधिकारियों को उनके कर्तव्यों की याद दिलाने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया, ताकि सामान्य तौर पर सभी आपराधिक मामलों और गोहत्या से संबंधित मामलों में निष्पक्ष जांच सुनिश्चित की जा सके।