गाजियाबाद में हाउस टैक्स विवाद: जमा करें या ना करें, भ्रम में जनता

अपने ही फैसले के विरुद्ध टैक्स वसूली पर अड़ा नगर निगम
आखिर कब तक झेलेंगे लोग यह अन्याय ?
Bhumesh sharma
NEWS1UP
गाजियाबाद। नगर निगम प्रशासन और जनता के बीच हाउस टैक्स को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। एक तरफ केंद्र सरकार आम जनता को आयकर और जीएसटी में राहत देने की कोशिश कर रही है, वहीं नगर निगम प्रशासन ने बिना पार्षदों की सहमति के हाउस टैक्स में तीन गुना वृद्धि कर दी है। निगम प्रशासन जनता से जबरन तीन गुना ज़्यादा हाउस टैक्स वसूलने पर अड़ा है।
विवाद की पृष्ठभूमि
बीती 7 मार्च को नगर निगम में सदन की बैठक के बाद गुपचुप तरीके से और पार्षदों से बिना चर्चा/अनुमति के डीएम सर्किल रेट से हाउस टैक्स वसूले जाने का फरमान जारी कर दिया गया। जो कि मौजूदा दर से तीन गुना अधिक है। नगर निगम प्रशासन के इस एकतरफा आदेश ने शहर भर में भूचाल की स्थिति पैदा कर दी थी। क्या पक्ष और क्या विपक्ष समस्त पार्षद सकते में आ गये। इतना ही नहीं पूर्व पार्षद भी आमजन पर किए गए इस कड़े प्रहार के विरुद्ध सड़क पर उतर आये। सदन में वर्तमान तो सड़क पर निवर्तमान और पूर्व पार्षद लामबंद होने लगे।
बोर्ड बैठक में एलान
30 जून को निगम में बोर्ड की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में महापौर सुनीता दयाल, नगरायुक्त विक्रमादित्य मलिक और तमाम पार्षद शामिल हुए। बैठक में गहमागहमी और गर्माहट के बाद निर्णय लिया गया कि डीएम सर्किल रेट से टैक्स लिए जाने का आदेश वापिस लिया जाएगा और पुरानी दरों से ही टैक्स वसूला जाएगा। इसका एलान स्वयं मेयर सुनीता दयाल ने किया। उन्होंने इस बात का भी ऐलान किया था कि जिन नागरिकों ने बढ़ी हुई दर दर टैक्स जमा कर दिया है उसे आगे एडजस्ट कर दिया जाएगा। इसके बाद सभी जन प्रतिनिधियों को जनता की तरफ से खूब वाहवाही मिली, मोबाइल कॉल और मैसेजों के माध्यम से उनका आभार व्यक्त किया गया। लेकिन जनता में राहत की ये खुशी अधिक दिनों तक टिक नहीं सकी और उसके हाथों में तीन गुना अधिक वसूली का बिल थमा दिया गया।
बोर्ड बैठक में सांसद, मंत्री और विधायकों की उपस्थिति
जनता में उबाल ले चुके इस मुद्दे पर चर्चा में हिस्सा लेने के लिए सांसद अतुल गर्ग, योगी सरकार के कैबिनेट मंत्री सुनील शर्मा, विधायक संजीव शर्मा और विधायक अजीतपाल त्यागी भी शामिल हुए। यानि हाउस टैक्स की बढ़ी हुई दरों को वापिस लेने का एलान इन सभी जन प्रतिनिधियों की उपस्थिति में किया था।
एक गृह स्वामी गिरीश गोयल बताते हैं कि उनके पास दो कमरों का फ्लैट है पहले उनसे आठ सौ रुपये का टैक्स वसूला जाता था परंतु अब उन्हें दो हज़ार से अधिक रुपये जमा करने का नोटिस मिला है। वहीं एस पी सिंह कहते हैं कि उनका मकान तीन कमरों का है पहले वो पंद्रह सौ के आसपास का टैक्स देते थे लेकिन अब उन्हें भी नोटिस के ज़रिए साढ़े तीन हज़ार से अधिक जमा करने के लिए कहा गया है।
बीस फीसदी छूट का लॉलीपॉप
अब निगम के हुक्मरान एक लॉलीपॉप देने में जुट गए कि जो लोग 30 सितंबर से पहले तीन गुना अधिक टैक्स जमा करवा देंगे उन्हें बीस प्रतिशत की छूट दी जाएगी। निगम प्रशासन के इस दोहरे रवैये ने पूर्व पार्षदों और जनता को सड़कों पर उतरने के लिए विवश कर दिया। गली-मुहल्लों से लेकर पॉश कालोनियां और हाईराइज बिल्डिंगों में रहने वाले लोग झंडे-बैनर लेकर निगम के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करते हुए नजर आए। एक गृह स्वामी गिरीश गोयल बताते हैं कि उनके पास दो कमरों का फ्लैट है पहले उनसे आठ सौ रुपये का टैक्स वसूला जाता था परंतु अब उन्हें दो हज़ार से अधिक रुपये जमा करने का नोटिस मिला है। वहीं एस पी सिंह कहते हैं कि उनका मकान तीन कमरों का है पहले वो पंद्रह सौ के आसपास का टैक्स देते थे लेकिन अब उन्हें भी नोटिस के ज़रिए साढ़े तीन हज़ार से अधिक जमा करने के लिए कहा गया है।
पूर्व पार्षदों ने खटखटाया हाई कोर्ट का दरवाजा
पूर्व पार्षद और आरटीआई एक्टिविस्ट राजेंद्र त्यागी, पूर्व कार्यकारिणी उपाध्यक्ष अनिल स्वामी और पूर्व पार्षद हिमांशु मित्तल ने निगम प्रशासन की मनमानी और अलोकतांत्रिक रवैये के खिलाफ उच्च न्यायालय में गुहार लगाते हुए एक पीआइएल दायर कर दी। जिस पर कई तारीखें लगने के बाद भी सुनवाई नहीं हो सकी है। उम्मीद लगाई जा रही है कि अक्टूबर के पहले सप्ताह में इसकी सुनवाई हो सकेगी।
विरोध प्रदर्शन और वसूली अभियान
एक तरफ़ विरोध प्रदर्शनों का दौर जारी है तो दूसरी तरफ टैक्स वसूली अभियान भी जारी है। मनमानी टैक्स वसूली के विरुद्ध गाजियाबाद संघर्ष समिति का भी गठन हो चुका है। लोगों में भ्रम की स्थिति बनी है और रोष भी है, इसी बीच निगम प्रशासन करीब 90 करोड़ रुपये का टैक्स जमा होने का दावा ठोक रहा रहा है और कह रहा है कि लोग तो टैक्स जमा करना चाहते हैं परंतु कुछ लोग अपनी रणनीति चमका रहे हैं और टैक्स जमा न करने के लिए लोगों को उकसा रहे हैं।
पूर्व पार्षद हिमांशु मित्तल कहते हैं कि यह बात बिल्कुल सही है कि नब्बे करोड़ का टैक्स जमा हो चुका है लेकिन निगम को यह याद रखना चाहिए कि इसमें बढ़ी हुई तीन गुना वृद्धि शामिल है, टैक्स जमा करने वालों की संख्या बहुत कम है। मित्तल का आरोप है कि नगर निगम एक्ट के अनुसार भी एक से दस वर्ष पुराने भवन 25 परसेंट, दस से बीस पुराने भवन और 32.5 परसेंट और बीस से चालीस पुराने भवन 40 परसेंट तक छूट के दायरे में आते हैं। अधिकारी, निगम एक्ट का भी पालन नहीं कर रहे हैं। मित्तल हैरानी जताते हुए कहते हैं कि आखिर किस अनुपात में निगम ने तीन गुना टैक्स बढ़ा दिया है ? वो कहते हैं कि कौन सा इंडेक्स अधिकारियों ने उठाया है समझ से परे है। क्या लोगों की इनकम तीन गुना बढ़ गई है ? मित्तल इस बात को लेकर बिल्कुल आश्वस्त नज़र आते हैं कि माननीय उच्च न्यायालय से जनता को न्याय मिलेगा और निगम को डीएम सर्किल रेट वापिस लेना होगा।
निगम कर्मियों को टाउनशिप में घुसने नहीं देंगे
लैंडक्राफ्ट-गोल्फलिंक्स आरडब्लूए के अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह तेवतिया कहते हैं कि उनके यहाँ सड़क, सीवर, बिजली और पानी सहित सभी मूलभूत सुविधाओं का रखरखाव टाउनशिप बिल्डर करता है जिनका मेंटिनेंस चार्ज निवासी ही देते हैं ऐसे में वो हाउस टैक्स के दायरे में आते ही नहीं हैं, इसके बावजूद भी उन्हें टैक्स वसूली के बिल भेजे जा रहे हैं। तेवतिया कहते हैं कि वो निगम कर्मियों को टाउनशिप में घुसने भी नहीं देंगे।
जनता के साथ न्याय करें निगम अधिकारी
निष्काम सेवा समिति के अध्यक्ष प्रीत मोहन सिंह कहते हैं कि हाउस टैक्स विवाद एक जटिल मुद्दा बन गया है। पार्षदों और जनता की मांगों को सुनने और उनकी समस्याओं का समाधान करने की आवश्यकता है। निगम प्रशासन को चाहिए कि वह पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ काम करे और जनता के साथ न्याय करे।
गहमा-गहमी, विरोध-प्रदर्शनों और भ्रम की स्थिति के बीच यह बात सभी को हैरानी में डाल रही है कि जब सांसद, सूबे के कैबिनेट मंत्री और तमाम विधायकों की मौजूदगी में यह तय हो गया था कि डीएम सर्किल रेट से टैक्स नहीं वसूला जाएगा और इसका एलान भी खुद मेयर ने किया था तो फिर वो कौन सी शक्ति है जो जन प्रतिनिधियों को भी ठेंगा दिखा रही है!!!