October 6, 2025
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शरद पूर्णिमा 2025: अमृत वर्षा की रात और खीर का दिव्य महत्व

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इस दिन मां लक्ष्मी और चंद्र देव की पूजा का विधान है

इस पावन तिथि पर खीर बनाने और खाने की परंपरा है

इस दिन पूजा-पाठ और दान अवश्य करना चाहिए

एस्ट्रो गिरीश

NEWS1UP

एस्ट्रो गिरीश

सनातन धर्म में शरद पूर्णिमा का अत्यंत पवित्र और शुभ स्थान है। यह वह रात्रि होती है जब चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से पूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है। इसी कारण इस रात को कोजागरी पूर्णिमा या रास पूर्णिमा भी कहा जाता है। मान्यता है कि इस रात चंद्रमा की चांदनी में दिव्य ऊर्जा होती है, जो शरीर और मन दोनों को शीतलता, आरोग्य और समृद्धि प्रदान करती है।

शरद पूर्णिमा 2025 की तिथि और खीर रखने का शुभ समय

  • पूर्णिमा तिथि प्रारंभ: 6 अक्टूबर 2025, रात 10:46 बजे

  • पूर्णिमा तिथि समाप्त: 7 अक्टूबर 2025, सुबह 6:17 बजे तक
     अतः शरद पूर्णिमा की खीर 6 अक्टूबर की रात 10:46 बजे से 7 अक्टूबर की सुबह 6:17 बजे त चांदनी में रखी जा सकती है।

खीर को पूरी रात खुली चांदनी में रखना अत्यंत शुभ माना गया है, क्योंकि इसी समय चंद्र देव की अमृतमयी किरणें पृथ्वी पर बरसती हैं।

शरद पूर्णिमा की खीर कब और कैसे बनाएं

  • खीर को शाम में बनाया जाता है।

  • गाय के दूध और चावल से खीर तैयार करें।

  • इसमें थोड़ा केसर, इलायची, और चांदी का वर्क मिलाना शुभ माना जाता है।

  • खीर को चांदी के बर्तन में बनाना और रखना विशेष रूप से मंगलकारी होता है।

खीर रखने की विधि 

  1. रात को खीर तैयार कर एक खुले पात्र में रखें।

  2. पात्र को जालीदार कपड़े से ढक दें ताकि कीट या धूल न गिरे।

  3. खीर को खुले आकाश के नीचे, ऐसी जगह रखें जहाँ चांदनी सीधी पड़े

  4. यह खीर पूरी रात चांद की रोशनी में अमृत वर्षा को ग्रहण करती है।

  5. अगली सुबह ब्रह्ममुहूर्त में (सुबह लगभग 4 बजे से 6 बजे के बीच) खीर को भगवान विष्णु को अर्पित करें।

  6. भोग लगाने के बाद इस खीर को प्रसाद रूप में परिवार के सभी सदस्यों में बांटें।

शरद पूर्णिमा की खीर कब खाएं 

  • खीर का सेवन 7 अक्टूबर 2025 की सुबह 6:17 बजे के बाद करें।

  • सबसे पहले स्नान करें, फिर भगवान विष्णु को भोग लगाकर उस प्रसाद का सेवन करें।

शरद पूर्णिमा की खीर का महत्व 

  1. अमृत वर्षा का प्रतीक:
    मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, जो शरीर की ऊर्जा को संतुलित करता है।

  2. स्वास्थ्य लाभ:
    इस रात की चांदनी में रखी खीर को खाने से चर्म रोग, मानसिक तनाव और अनिद्रा जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।

  3. धन-संपत्ति की प्राप्ति:
    कहा जाता है कि जो व्यक्ति श्रद्धा से इस खीर का प्रसाद ग्रहण करता है, उसके जीवन में धन और सुख-समृद्धि की कभी कमी नहीं रहती।

  4. आध्यात्मिक शुद्धि:
    यह रात्रि ध्यान, जप और आराधना के लिए अत्यंत उपयुक्त मानी गई है। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी रात मथुरा में रास लीला की थी, इसलिए यह दिन भक्ति और प्रेम का प्रतीक भी है।

विशेष सुझाव:

  • इस रात उपवास, चंद्र दर्शन और मंत्र जप करने से मानसिक शांति और आशीर्वाद प्राप्त होता है।

  • खीर को गाय के दूध से ही बनाना श्रेष्ठ माना गया है, क्योंकि यह सात्त्विकता और पवित्रता का प्रतीक है।


शरद पूर्णिमा की रात केवल चांद की सुंदरता का आनंद लेने की नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऊर्जा और दिव्यता को आत्मसात करने की रात है। चांदनी में रखी हुई खीर, वास्तव में श्रद्धा और विज्ञान दोनों का अद्भुत संगम है, यह शरीर को शीतलता देती है और आत्मा को शांति।

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