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कोर्ट रूम में लाठीचार्ज के विरोध में आंदोलन को लेकर पूरे प्रदेश के अधिवक्ता लामबंद

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गाजियाबाद। गाजियाबाद जिला जज के कोर्ट रूम में अधिवक्ताओं पर हुए लाठीचार्ज के विरोध में चल रहे वकीलों का आंदोलन लगातार जारी है। यही नहीं कई जिलों की बार एसोसिएशन के पदाधिकारी भी गाजिबाद पहुंचे और बार कार्यकारिणी से मुलाकात कर अपना समर्थन दिया। जानकारी में आया है कि प्रयागराज हाईकोर्ट में गाजियाबाद के प्रशासनिक जज ने मामले की गंभीरता को देखते हुए बार पदाधिकारियों को मुलाकात के लिए बुलाया है। एक प्रतिनिधिमंडल उनसे मिलने प्रयागराज जाएगा

16 नवंबर को महा सम्मेलन की तैयारी

न्यायालय परिसर में धरने के बाद बार सभागार में कार्यकारिणी की बैठक अध्यक्ष दीपक शर्मा की अध्यक्षता में हुई। इसका संचाल सचिव अमित नेहरा ने किया। बैठक में कई प्रस्तावों पर मुहर लगी। इसके तहत आज गुरुवार को सूबे के प्रत्येक जिला न्यायालय, तहसील बार, टैक्स बार एसोसिएशन के अधिवक्ता गााजियाबाद बार एसोसिएशन के अधिवक्ताओं के साथ घटित घटना के विरोध में प्रांगण में धरना प्रदर्शन करेंगे। इसके अतिरिक्त 16 नवंबर को महा सम्मेलन की तैयारी गाजियाबाद बार एसोसिएशन करेगी। पश्चिमी उत्तर प्रदेश संघर्ष समिति में शामिल 22 जनपदों के अधिवक्ता कार्यक्रम के मुताबिक अपने अपने मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करेंगे तथा कार्य से विरत रहेंगे। तय किया गया कि जब तक बार एसोसिएशन की मांगें नहीं मानी जाती तब तक आंदोलन जारी रहेगा ।

बता दें कि गत 29 अक्तूबर को गाजियाबाद के जिला न्यायालय में जिला जज और वकीलों के बीच नोकझोंक हो गई थी। इसके बाद पुलिस ने वकीलों पर लाठी चार्ज कर उन्हें तितर-बितर किया था। इस दौरान अधिवक्ताओं को चोटें भी लगी थी। साथ ही इस मामले में वकीलों के खिलाफ दो रिपोर्ट भी दर्ज कराई गई थी, तभी से वकील हड़ताल पर हैं। यही नहीं 22 जिलों के अधिवक्ताओं की संघर्ष समिति की बैठक भी गाजियाबाद में हुई थी। जिसमें आंदोलन को तेज करने का निर्णय लिया था। साथ ही जिला जज के तबादले व निलंबन की मांग पूरी न होने तक प्रत्येक दिन जिले में 2 घंटे वकीलों ने जाम लगाने का निर्णय लिया था। उसी क्रम में गाजियाबाद के अधिवक्ता बुधवार को भी न्यायालय परिसर में धरने पर बैठे।

आंदोलन के चलते वादकारी हो रहे परेशान

दूसरी तरफ वकीलों के आंदोलन के चलते एक पखवाड़े से न्यायालय पर कामकाज ठप पड़ा है। हड़ताल के कारण बादकारी कोर्ट के चक्कर लगाने को मजबूर हैं। लोगों की जमानतें नहीं हो पा रही हैं। कहा जा रहा है कि अब तक मुकदमों में आए लोगों को सिर्फ अगली तारीख ही मिल रही है।
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