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देश की एक बेटी जो बनी हर लावारिस की वारिस, जानिये कौन है ये

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क्रांतिकारी शालू सैनी सड़क पर ठेला लगाकर करती है अपने बच्चो की परवरिश

अपनी कमाई का आधा हिस्सा लगाती है अंतिम संस्कार की सेवा में

ईश्वर ने जो दी जिम्मेदारी ‘मैं‘ उसको तन मन धन से निभाऊंगी कई हजार लावारिस पुण्य आत्माओं की बनी वारिस

अज्ञात शवों को न कहे लावारिस मैं हूं इन सबकी वारिस

 

NEWS 1 UP

मुजफ्फरनगर। समाज सेवा में कीर्तिमान स्थापित करने वाली पहली महिला ने समाज सेवा में अपने नाम की अलग ही पहचान बनाई हैं। शहर के मौहल्ला कृष्णा पुरी निवासी साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष क्रांतिकारी शालू सैनी ने समाज सेवा करने में सबका रिकॉर्ड तोडने में कामयाबी हासिल की हैं। पहले क्रांतिकारी शालू सैनी को साक्षी वेलफेयर ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में जाना जाता था, मगर समाज सेवा के क्षेत्र में निस्वार्थ भाव से क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा उठाये गये एक कदम ने उनको उत्तर प्रदेश के साथ साथ पडोसी प्रदेशों में लावारिसों की वारिस के नाम से प्रसिद्ध( कर दिया हैं।

गिनीज वर्ल्ड रिकॉड में दर्ज है नाम

बतादे कि यह उपल्बधि चंद समय में ही हासिल कर ली गई। वहीं समाज सेवा करने में अभी तक जनपद से किसी भी समाज सेवक का नाम गिनीज वर्ल्ड रिकॉड में दर्ज नही हो पाया हैं , मगर क्रांतिकारी शालू सैनी ने यह उपल्बधि भी हासिल कर ली हैं। समाज सेवा तो क्रांतिकारी शालू सैनी बहुत पहले से करती आ रही हैं, मगर लॉक डाउन के समय में लोगों का दर्द सहन नही हो पाया और अपना जीवन समाज सेवा के लिए अर्पण करने की मन में ठान ली। क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा समाज सेवा करने के लिए मन से लिए गये फैसले व सुदृढ निश्चय के कारण ही आज लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी हजारों करोडो की संख्या में फैंस उनको अपना आइडियल मानते हैं और उनके बताये गये रास्तो को अपने जीवन मे उतारकर क्रांतिकारी शालू सैनी के आदर्शो पर चलना चाहते हैं।

लावारिस को अपने परिवार का सदस्य मानती है

लावारिसों की वारिस क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा फिर एक बार लावारिस का सिर मौर बन कर मुखाग्नि दी गई और पंच तत्व में विलीन किया गया। खतौली थाना क्षेत्र में लावारिस लाश की सूचना पर क्रांतिकारी शालू सैनी द्वारा मौके पर जाकर लावारिस को अपनाते हुए उसको अपना नाम दिया और विधि विधान पूर्वक लावारिस को अपने परिवार का सदस्य मानते हुए हिन्दू रिति रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया हैं। क्रांतिकारी शालू सैनी के इस कार्य की अपने जनपद ही नहीं समूचे उत्तर प्रदेश के साथ साथ पडोसी राज्यों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है कि एक महिला होने के बावजूद समाज सेवा के प्रति इस कदर पागल होना और महिलाओं के एक मिशाल बनकर उभरना काबिले तारीफ हैं।।

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